योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा। ताके तन नहीं रहै कलेशा॥
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
अर्थ: हे प्रभु वैसे तो जगत के नातों में माता-पिता, भाई-बंधु, नाते-रिश्तेदार सब होते हैं, लेकिन विपदा पड़ने पर कोई भी साथ नहीं देता। हे स्वामी, बस आपकी ही आस है, आकर मेरे संकटों को हर लो। आपने सदा निर्धन को धन दिया है, जिसने जैसा फल चाहा, आपकी भक्ति से वैसा फल प्राप्त किया है। हम आपकी स्तुति, आपकी प्रार्थना किस विधि से करें अर्थात हम अज्ञानी है प्रभु, अगर आपकी पूजा करने में कोई चूक shiv chalisa lyricsl हुई हो तो हे स्वामी, हमें क्षमा कर देना।
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पर होत है शम्भु सहाई॥
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान ।
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश shiv chalisa in hindi नवावैं॥
ब्रह्म – कुल – वल्लभं, सुलभ मति दुर्लभं, विकट – वेषं, विभुं, वेदपारं ।
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
शिव को भस्म क्यों चढ़ाई जाती है, जानिए यहां भस्म आरती के राज